थायराइड रोग में थायराइड ग्रंथि मे , आसपास ग्रंथि के लोब में बहुत रोगियों में सिस्ट बन जाती है , रसौली बन जाती है जिसमें दर्द रहती है सूजन रहता है भारीपन होने लगता है। रिसर्च डाटा बताता है केवल 10 से 13 परसेंट थायराइड सिस्ट रोगी थायराइड के कैंसर से ग्रसित होने की संभावना मिलती हैं। मतलब सभी थायराइड की सिस्ट कैंसर नहीं होती है कुछ केसेस में सिस्ट कैंसर में बहुत ही रेयर कन्वर्ट होती है।
कोलॉयडल सिस्ट आयुर्वेदिक उपचार से सत प्रतिशत ठीक हो जाती है फिर भी सही जांच और निदान बनाकर उचित इलाज लेना और संबंधित हायर स्पेशलिटी सेंटर से इवेलुएट कराना तार्किक है सफल है।
कौन सी जांच ,निदान और इलाज में सहायक है ?
थायराइड ग्लैंड का अल्ट्रासाउंड सीटी स्कैन, थायराइड प्रोफाइल का टेस्ट t3 t4 एस एच हार्मोन मात्रा निर्धारण, कैल्शियम की जांच, लिपिड प्रोफाइल की जांच जरूरी है।
थायराइड ग्रंथि के संरचना में दो प्रकार के शेर खासतौर से फॉलिकुलर सेल्स और सी शेल्स जिम्मेदार होते हैं फॉलिकुलर सेल्स थायराइड हार्मोन को प्रोड्यूस करते हैं जबकी सी सेल्स कैल्सीटोनिन हार्मोन को प्रोड्यूस करते हैं जो कैल्शियम को निर्माण में आवश्यकता में मदद करते हैं और इसी ग्रंथि के नीचे चार प्रकार के छोटे-छोटे कण स्वरूप पैरा थायराइड ग्लैंड होती हैं जो शरीर में खून में कैलशियम लेवल को रेगुलेट करती हैं। इसलिए उपरोक्त जांच टेस्ट से निदान और इलाज का दृष्टिकोण क्लियर हो जाता है।
थायराइड कोलॉयडल सिस्ट क्या है ?
थायराइड किस सिस्ट में हार्मोन फ्लूट और हार्ड सॉलिड मास किस रचना होती है कभी-कभी सॉलिड मास अधिक हो जाता है तो सिस्ट गांठ कठोर हो जाती है ऐसी गांठ कैंसर की तरफ खतरा दर्शाती है। ऐसी स्थिति में गले के अल्ट्रासाउंड के साथ-साथ गाइडेड एफएनएसी जांच कराना उचित रहता है।
यदि बढ़ी हुई गांठ गले में उभार सौंदर्य में ग्रहण ,सांस लेने में तकलीफ, बोलने निगलने में तकलीफ ना दे तो सर्जरी की कोई आवश्यकता नहीं।
थायराइड में गिल्टी होना गांठ बनना सिस्ट होना यह दोनों प्रकार के थायराइड रोग मतलब हाइपर थायराइड और हाइपो थायराइड दोनों रोगियों में मिलता है।
भार्गव आयुर्वेदा संस्थान दोनों का अलग-अलग वैदिक विज्ञान रीति से
100% शुद्ध आयुर्वेदिक उपचार इलाज द्वारा सलाह और औषधि सेवन करके फायदा उठा सकते हैं।
कोलाइडल नान कैंसर थायराइड सिस्ट गांठ का इलाज भार्गव आयुर्वेदा में सफल है कारगर है हमारे पास इस तरह के बहुत रोगी लाभ प्राप्त कर चुके हैं। और लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
थायराइड कैंसर का इलाज क्या है ?
थायराइड ग्रंथि में फॉलिकुलर सेल्स में बनी हुई गांठ में अनियंत्रित वृद्धि कैंसर है जिसको पैपिलरी थारो कार्सिनोमा कहते हैं। यह कैंसर थायराइड के रोगियों में 10 से 13 परसेंट कोलाइडल सिस्ट वाले रोगियों में ही मिलता है जिसमें गांठ सूजन ,कुछ सेल्स मर जाते हैं, कैलशिफाइड हो जाते हैं, खून इकट्ठा हो जाता है और अनियंत्रित वृद्धि कैंसर है।
सभी प्रकार के एंडोक्राइन ग्रंथि मैं वेनस ड्रेनेज ना के बराबर होता है इसलिए एंडोक्राइन गलैंड्स में आई हुई तकलीफ बहुत धीरे-धीरे ठीक होती है टॉक्सिक ओवरलोड लंबे समय तक कायम रहता है जिसको डिटॉक्स करना आयुर्वेद के सिद्धांत के मुताबिक रस रक्तवह स्रोत चिकित्सा का आधार है। जिसके लिए अंग विशेष अनुरूप कंसंट्रेटेड सिरप और टैबलेट का उपयोग बेहद लाभकारी पाया गया है। वह भार्गव आयुर्वेदा के पास गहन शोध और श्रम का परिणाम है।
थायराइड का कैंसर पैपिलरी कार्सिनोमा बहुत घातक नहीं होता है यद्यपि यह यह मारक बीमारी है तो लापरवाही भी नहीं करनी चाहिए छोटा सा अंग है थायराडॉक्टमी और रेडियोएक्टिव आयोडीन और लगातार स्कैनिंग करके कैंसर सेल को खत्म कर देना चाहिए। इस प्रकार की चिकित्सा भारत सरकार के रिसर्च सेंटर में उपलब्ध है जनमानस को लाभ उठाना चाहिए।
जब थायराइड ग्लैंड को काटकर सर्जरी द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है तो इसके साथ थायराइड और पैरा थायराइड लैंड्स को भी काट कर निकाल दिया जाता है जिससे रोग की फैलने की संभावना जीरो हो जाती है कभी-कभी रिसर्च बताती हैं पैरा थायराइड ग्रंथि का कैंसर बहुत तेजी से लंग और लीवर को संक्रमित कर देता है।
दुखद बात यह है थायराइड और पैरा थायराइड शरीर से निकल जाने के बाद शरीर में थायराइड हार्मोन सप्लीमेंट रूप में हमेशा लेना पड़ता है और साथ में कैल्शियम की मात्रा ओवरडोज में प्रचुर मात्रा में सलाह दी जाती है।
थायराइड कैंसर के रोगी सहायक औषधि आयुर्वेदिक उपचार साइड इफेक्ट को कम करना शरीर के अन्य अंगों की कोशिकाओं को नियमित और सुचारू रखना उर्जित रखना ऐसी दशा में आयुर्वेदिक औषधियां और उपचार भार्गव आयुर्वेद संस्थान के पास उपलब्ध है जो सभी प्रकार के कैंसर का उपचार के बाद होने वाला साइड इफेक्ट का समाधान देता है और कई प्रकार के कैंसर का बेहतर इलाज देता है जो क्वालिटी आफ लाइफ और जीवन को लंबा आयाम देती है।
परामर्श और इलाज:
जो रोगी प्राकृतिक जड़ी बूटी औषधियों से जांच और निदान उपरांत इलाज लेना चाहते हैं उनके लिए भार्गव आयुर्वेद संस्थान एक बेहतर विकल्प है।
मिले पूछताछ करें और पाएं उचित समाधान।